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Tuesday 10 November 2015

May This Deewali , Bring More Light in Every Ones Life !

भारत में दीवाली का पर्व एक त्यौहार के तोर पर तो जाना  ही जाता  है , पर  व्यापारिक संधर्ब में भी इसको अलग नज़रये से देखा जाता है जिसका अपना ही एक अलग महत्व है ,   क्यूंकि यही वो त्यौहार है जब कोई भी व्यापरी लक्ष्मी  / धन की पूजा अर्चना ,  इस वजह से करता है ताकि उसकी तिजोरी में और धन की वृद्धि हो और लक्ष्मी कभी भी उससे ना रूठे !

यह दीवाली ही तो है , जब कई  अँधेरी ज़िन्दगियों में , कई  अँधेरी बस्तियों  में ,  कई  ख्वाहिशों में , उम्मीदों के  दिये जल उठते हैं और अपनी सुनहरी रौशनी से हर वो जगह रोशन कर देते हैं , के  किसी भी अँधेरे का अनुभव , कभी भी किसी को  दोबारा ना करना पढ़े !









जब बनवास काट कर  आए ,  वापस  श्री राम जी ,
रौशनी से जगमगाई , तब से हर शाम जी ,  
कोई जलाता फुलझड़ियाँ ख़ुशी से ,  तो कोई ख़ुशी से दिये जलाता,
मिले लक्ष्मण जैसा भाई सबको , तो कोई यह बताता ,
आज फिर से देखो , आया वही  दिन है ,
सच हे , खुशियां पाना अब भी मुमकिन है ,
घर घर , हर घर ,  आज जगमगाना है ,
बहु / बिटिया ही है लक्ष्मी ,सब को यही समझाना है ,
आओ सब चेहरों पर , बिखेर दें क्यों ना  हम मुस्कानें ,
प्यार और संवाद करें आपस में , मिटाएं गिले शिकवे पुराने !
                                                                                            ( ~ फैसल  )

                                                              


Monday 26 January 2015

Sometimes Reality , Sometimes Story !


बीता बचपन , ना जाने कितनी ही परेशानी में...
कभी रोता ,  कभी हस्ता  , तो कभी करता शैतानी में...
जो आई समझ थोड़ी , तो निकाले  कदम  बाहर , 
देखे दुनिया , आखिर क्यों इतनी , यह हैरानी में , 
होता यूं तो दर्द , जब भी होता मोसम  सर्द , 
हैं जो भी यह यह सांसें, बस किसी की मेहरबानी में ,
सब कुछ हे दिखता धुंधला, अब हर शीशे  में जैसे , 
पाऊं अक्स बस अपना , में अब बहते पानी में ,
कभी जब दिल घबराए , या अँधेरा सा दिख जाए , 
बस खुदा के आगे , झुकाऊं अपनी यह पेशानी में ,
ना जुनूँ  है कम , और ना होसला कम है ,
कभी हूँ हकीकत , तो कभी हूँ एक कहानी में ......( ~ फैसल )  



Friday 2 January 2015

दुआओं में बोहत ताकत होती है !


माँ ! जब भी वो पल, में याद करता हूँ ,
खुदा से बस  दुआ में यही,फरयाद करता हूँ ,
के जो बीती मुझ पर , ना बीते  किसी पर  भी ,
खुशियों से झोली ,कर कोशिश , सब की आबाद करता हूँ ,
तेरा मन भी बेचैन रहता है वैसे  , फ़िक्र में यूं तो मेरी ,
ना जाने किस सोच में , में वक्त बर्बाद करता हूँ ,
करती रहती हैं इंतज़ार , तेरी आँखें , मेरा घर अाने का ,
तेरी हिम्मत और तेरे जज़्बे को , ज़िंदाबाद  करता हूँ ,
पर तड़प जाता हूँ , घबरा जाता हूँ ,  उस भयानक दौर की आहट से ,
फिर छुप जाता हूँ आँचल में तेरे , हवाओं की सनसनाहट से ,
जो चले गए , कहीं दूर  , मुझे छोड़ कर , खुदा के घर में ,
है आज भी उनका अक्स  , मेरी  हर एक  नज़र में ,
पर तू ना होना उदास , बस रहना यूं ही मेरे पास ,
तुझे बनाया उस रब ने , बेहद ही कुछ  खास ,
अब भी कुछ तकलीफों से , हाँ ! गुज़र तो रहा हूँ,
शैतानियों  को कर बंद , पर में सुधर तो रहा हूँ ,
करता हूँ , वायदा तुझसे , के हर दौर से बेखौफ लड़ूंगा,
भुला के सारी पिछली यादें ,फिर से , में आगे बढूंगा ! ( ~ फैसल )