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Saturday, 25 October 2014

Special Abilities Child Have Special Bonding With Special Mother !


माँ , एक ऐसा नाम जिसको कभी मरयम कहा गया , कभी ममता की मूरत , जो अपने हर बच्चे से अपनी जान से भी ज़्यादा स्नेह करती है , उनके लिए कुछ  भी करने को , कुछ भी सहने को हमेशा तैयार रहती है , उसका हर बच्चा खुश रहे , वो हमेशा यही कोशिश करती है , उसके बच्चे को कोई भी तकलीफ हो तो उससे कई ज़्यादा तकलीफ उसको होती है , हाँ तभी  तो  माँ को सब धार्मिक  किताबों   में  , एक अलग ही दर्जा   दिया गया  है    , वो माँ ही तो है ,  जो अपने से ज़्यादा अपने बच्चो के बारे में सोचती है , उनके अच्छे के बारे में सोचती है , उनकी फ़िक्र करती है , अपनी हर दुआ में खुदा से बस उन्ही का ज़िक्र करती है ! 

पर ऐसी माँ , जिसका बच्चा बेहद ख़ास है , जिसमें अपना एक एहसास है , जिसके लिए दुनिया जैसे एक दम अंजानी सी रहती है , उस बच्चे का अपनी माँ /अपनी वालिदा  से लगाओ , उन तमाम बच्चो से बेहद अलग होता है , उसकी सोच बेहद अलग होती है , क्यूंकि उसकी दुनिया बस उसकी माँ से ही शुरू होती है और माँ पे ही खत्म , एक छोटी सी कोशिश इस कविता के द्वारा , के आखिर वो बच्चा अपनी माँ से कितना प्यार करता है और उसको किस  तरह का डर हर   पल सताता है और उसकी माँ उसके लिए , उसकी ज़िन्दगी के लिए , कितना एहम  मुकाम रखती है ! 




हाँ माँ ! इसी दुनिया की तो मैंने मुराद की है , 
मेरी झोली जो तूने , खुशियों से आबाद की है , 
पर कभी कभी डरता हूँ में , और आहें भरता हूँ में , 
तू रहे  पास हमेशा , बस यही दुआ करता हूँ में , 
जो कभी तू मुझसे ,  दूर चली जाएगी , 
क्या यह दुनिया , तब मुझे समझ पाएगी , 
जो में सोचना चाहूँ , वो में क्यों सोच नहीं पाता , 
करता हूँ कोशिश पूरी , पर मंज़िल तक पोहंच नहीं पाता , 
उस रब की है अज़ीम नेमत , तेरी तालीम और तेरी नसीहत ,
क़ुर्बान तेरे आगे , सारी दौलत और सारी वसीहत , 
बस तेरे आँचल के साय में ही , तू मुझे हमेशा सुलाना ,
करूँ कितनी भी शैतानी , पर ना तू मुझे भुलाना , 
तेरे पाक क़दमों में ही तो  , जन्नत की एक बस्ती है मेरी , 
खुदा के बाद , बस तू ही तो है , तुझसे ही तो बस  हस्ती है मेरी....
                                                                          ( ~ faisal )







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