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Friday, 2 January 2015

दुआओं में बोहत ताकत होती है !


माँ ! जब भी वो पल, में याद करता हूँ ,
खुदा से बस  दुआ में यही,फरयाद करता हूँ ,
के जो बीती मुझ पर , ना बीते  किसी पर  भी ,
खुशियों से झोली ,कर कोशिश , सब की आबाद करता हूँ ,
तेरा मन भी बेचैन रहता है वैसे  , फ़िक्र में यूं तो मेरी ,
ना जाने किस सोच में , में वक्त बर्बाद करता हूँ ,
करती रहती हैं इंतज़ार , तेरी आँखें , मेरा घर अाने का ,
तेरी हिम्मत और तेरे जज़्बे को , ज़िंदाबाद  करता हूँ ,
पर तड़प जाता हूँ , घबरा जाता हूँ ,  उस भयानक दौर की आहट से ,
फिर छुप जाता हूँ आँचल में तेरे , हवाओं की सनसनाहट से ,
जो चले गए , कहीं दूर  , मुझे छोड़ कर , खुदा के घर में ,
है आज भी उनका अक्स  , मेरी  हर एक  नज़र में ,
पर तू ना होना उदास , बस रहना यूं ही मेरे पास ,
तुझे बनाया उस रब ने , बेहद ही कुछ  खास ,
अब भी कुछ तकलीफों से , हाँ ! गुज़र तो रहा हूँ,
शैतानियों  को कर बंद , पर में सुधर तो रहा हूँ ,
करता हूँ , वायदा तुझसे , के हर दौर से बेखौफ लड़ूंगा,
भुला के सारी पिछली यादें ,फिर से , में आगे बढूंगा ! ( ~ फैसल )




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