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Monday, 26 January 2015

Sometimes Reality , Sometimes Story !


बीता बचपन , ना जाने कितनी ही परेशानी में...
कभी रोता ,  कभी हस्ता  , तो कभी करता शैतानी में...
जो आई समझ थोड़ी , तो निकाले  कदम  बाहर , 
देखे दुनिया , आखिर क्यों इतनी , यह हैरानी में , 
होता यूं तो दर्द , जब भी होता मोसम  सर्द , 
हैं जो भी यह यह सांसें, बस किसी की मेहरबानी में ,
सब कुछ हे दिखता धुंधला, अब हर शीशे  में जैसे , 
पाऊं अक्स बस अपना , में अब बहते पानी में ,
कभी जब दिल घबराए , या अँधेरा सा दिख जाए , 
बस खुदा के आगे , झुकाऊं अपनी यह पेशानी में ,
ना जुनूँ  है कम , और ना होसला कम है ,
कभी हूँ हकीकत , तो कभी हूँ एक कहानी में ......( ~ फैसल )  



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